
जानिए क्या है परंपरागत कृषि विकास योजना और इससे कैसे होने वाला है किसानों को अदभुत फ़ायदे
जानिए क्या है परंपरागत कृषि विकास योजना और इससे कैसे होने वाला है किसानों को अदभुत फ़ायदे
परंपरागत कृषि विकास योजना एक महत्वपूर्ण कृषि योजना है जो भारत सरकार द्वारा संचालित की जाती है। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत कृषि पद्धतियों को संरक्षित रखने, पशु-पक्षियों और जैविक खेती को प्रोत्साहित करने, उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की उत्पत्ति को बढ़ाने और किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने का लक्ष्य रखती है।
परंपरागत कृषि विकास योजना का शुभारंभ 2015 में हुआ था। यह योजना भारतीय कृषि को परंपरागत तरीकों की ओर प्रवृत्त करने का प्रयास करती है, जो प्राकृतिक तरीके से उत्पादन करते हैं और पर्यावरण के साथ संगत हैं। इसके अंतर्गत, परंपरागत खेती और पशुपालन की प्रथाओं को प्रमोट किया जाता है और किसानों को उनकी पद्धतियों को सुरक्षित रखने और उन्नत तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
इस योजना के अंतर्गत, किसानों को जैविक खेती, खेती में पुनर्नवीनीकरण, विशेष फसलों की खेती, पशु-पक्षियों की प्रबंधित चारावाही, जैविक खेती के उत्पादों की प्रबंधित उपज और बागवानी आदि के क्षेत्र में विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इसके लिए, सरकार द्वारा केंद्रीय और राज्य स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनमें प्रशिक्षण और विद्यापीठों के सहयोग से विभिन्न विषयों पर ज्ञान दिया जाता है।
परंपरागत कृषि विकास योजना द्वारा किसानों को आर्थिक रूप से सुस्थित बनाने के लिए विभिन्न आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाती है। किसानों को आर्थिक रूप से प्रोत्साहित करने के लिए उन्नत उपकरणों, बियाणुओं, खाद्य और खेती संबंधी सामग्री के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके साथ ही, किसानों को अनुदान और ऋण की सुविधा भी प्रदान की जाती है जिससे उन्हें नवीनीकरण और अधिक उत्पादक बनाने के लिए आवश्यक संसाधनों की प्राप्ति करने में मदद मिलती है।
परंपरागत कृषि विकास योजना ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह योजना किसानों को प्राकृतिक तरीकों पर आधारित उत्पादन करने के लिए प्रेरित करती है और उन्हें समृद्धि और सुरक्षा की दिशा में अग्रसर करती है। इसके अंतर्गत, परंपरागत कृषि के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण किया जाता है, पर्यावरण को संतुलित किया जाता है और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक स्थिरता को प्राप्त करने में मदद मिलती है।