
अत्याचार निवारण अधिनियम क्या है और इसके द्वारा किए गए विभिन्न प्रावधान
अत्याचार निवारण अधिनियम क्या है और इसके द्वारा किए गए विभिन्न प्रावधान
अत्याचार निवारण अधिनियम (Prevention of Atrocities Act) 1989 भारतीय संविधान की एक महत्वपूर्ण संशोधन है जो दलित और अनुसूचित जनजाति के लोगों को सामाजिक, आर्थिक और न्यायिक रूप से संरक्षित करने के उद्देश्य से पारित किया गया है। इस अधिनियम के तहत, अत्याचार करने वाले और अत्याचार का शिकार होने वाले लोगों को सजा देने का प्रावधान है।
अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत आर्थिक सहायता का उद्देश्य विकलांगता, मानसिक पीड़ा, दाहिनी अपराध, सम्पत्ति की विनाश, अधिकारों की हनन, अपमान, भेदभाव और विभिन्न अत्याचारों से पीड़ित व्यक्तियों के प्रति आर्थिक समर्थन प्रदान करना है।
यह अधिनियम आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न उपायों का प्रावधान करता है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं:
1. संविदानिक निधि (Constitutional Fund): इस अधिनियम के तहत एक संविधानिक निधि स्थापित की गई है जिसका उपयोग अत्याचार पीड़ित लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए किया जाता है। यह निधि राज्य सरकारों द्वारा प्रबंधित की जाती है और विकलांगता, मानसिक पीड़ा, अपमान और अन्य आर्थिक हानियों के आधार पर आर्थिक सहायता प्रदान करने में उपयोग होती है।
2. आर्थिक सहायता: अत्याचार पीड़ित व्यक्ति को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है जो उनके अपमान, भुगतान की अवधि में उत्पन्न नुकसान और अन्य आर्थिक हानियों को सुधारने में मदद करती है। इसके तहत पीड़ित व्यक्ति को आर्थिक मदद, पुनर्वासन योजनाएं, शिक्षा योजनाएं और व्यापारिक सहायता जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
3. सरकारी नौकरी योजना: इस अधिनियम के तहत अत्याचार पीड़ित व्यक्ति को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता दी जाती है। इसका मकसद उन्हें आर्थिक स्थिति को सुधारने और समाज में उनकी स्थान में सम्मान को बढ़ाने का है। इसके तहत विशेष आरक्षण के आधार पर आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है ताकि वे सरकारी नौकरी की संभावना से अधिक लाभान्वित कर सकें।
4. विशेष पुलिसी और सुरक्षा: अत्याचार पीड़ित व्यक्ति को अपनी सुरक्षा की विशेषता दी जाती है। इसका उद्देश्य उन्हें अत्याचार के खिलाफ सुरक्षित रखने और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने है। उन्हें अदालती मामलों में विशेष सुरक्षा प्रदान की जाती है और उन्हें अत्याचार करने वालों के प्रति जागरूकता और सुरक्षा के लिए साथी कार्यकर्ताओं का सहयोग भी मिलता है।
अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत आर्थिक सहायता की व्यवस्था दलित और अनुसूचित जनजाति के लोगों को उनकी आर्थिक हालत को सुधारने, स्वाभिमान को संरक्षित रखने और समाज में उनकी स्थिति को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह उनको आर्थिक सहायता, सुरक्षा, न्यायिक सहायता और समाजिक समर्थन प्रदान करके उनके अधिकारों की सुरक्षा करता है। इससे उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार होती है और उन्हें समाज के साथ समान अधिकारों का आनंद लेने का मौका मिलता है।