
70 विश्वविद्यालय के 500 से अधिक शतरंज के खिलाड़ियों ने जनजतीय विश्वविद्यालय में चली चालें
70 विश्वविद्यालय के 500 से अधिक शतरंज के खिलाड़ियों ने जनजतीय विश्वविद्यालय में चली चालें
पुष्पराजगढ़ (रमेश तिवारी)
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक में भारतीय विश्वविद्यालय संघ के जोनल शतरंज प्रतियोगिता (पश्चिम जोन – पुरुष वर्ग) का सफल आयोजन हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ यह आयोजन पूरे 1 सप्ताह तक चला। जिसमें भारतीय विश्वविद्यालय संघ के पश्चिमी जोन की 70 विश्वविद्यालय के लगभग 500 शतरंज खिलाड़ियों ने भाग लिया।
इस आयोजन का शुभारंभ विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी, विशिष्ट अतिथि श्री भारत सिंह चौहान (अध्यक्ष राष्ट्रमंडल शतरंज संघ), सम्मानीय अतिथि श्री गुरमीत सिंह (चेयरमैन मध्य प्रदेश चेस एसोसिएशन भोपाल) तथा कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर अजय वाघ, सह-संयोजक प्रो. तरुण कुमार ठाकुर एवं आयोजन सचिव डॉ. हरेराम पांडे के कर कमलों से हुआ। उद्घाटन सत्र में प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने शतरंज प्रतियोगिता के इस आयोजन को अभूतपूर्व बताया। उन्होंने कहा कि शतरंज में रानी नहीं होती परंतु राजा को बचाने के लिए पूरी सेना एकजुटता के साथ प्रयास करती है। ठीक उसी तरह विश्वविद्यालय के इस आयोजन में पूरा विश्वविद्यालय एकजुटता के साथ दिन-रात कार्य कर रहा है। दूरदराज से आए हुए खिलाड़ियों उनके कोच और टीम मैनेजर को किसी तरह की परेशानी नहीं हो इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने चहुमुखी ध्यान रखा है। आने वाले 7 दिन विश्वविद्यालय के लिए किसी उत्सव से कम नहीं होंगे। हमारा प्रयास रहेगा कि खेल, बिना विघ्न बाधाओं के सुचारू रूप से चले इसके लिए हमने देश के कोने-कोने से आर्बिट्रेटर्स को बुलाया है जो शतरंज जे अच्छे जानकार हैं।
विश्वविद्यालय के इतिहास में इस तरह का आयोजन पहली बार हुआ जिसमें इतनी बड़ी संख्या में छात्रों के साथ-साथ उनके कोच और टीम मैनेजर ने भाग लिया। शतरंज के नियमों के अनुसार कुल 4 बोर्ड पर 7 राउंड खेले गए जिसमें विश्वविद्यालय के छात्र रविंद्र सेठी ने ने एकल बोर्ड पर स्वर्ण पदक जीता। टीम खेल के हिसाब से पूना की सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय ने प्रथम स्थान प्राप्त किया इस तरह पश्चिम जोन की प्रमुख चार टीमों में महाराष्ट्र का दबदबा बना रहा। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल के खिलाड़ियों ने टीम स्पर्धा में सातवां स्थान प्राप्त किया।
समापन सत्र की शुरुआत विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी की अध्यक्षता एवं मुख्य अतिथि श्री यशपाल सोलंकी (जूड़ों में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित) तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. अरुण कुमार (खेल वैज्ञानिक) के साथ-साथ कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर अजय वाघ, सह- संयोजक प्रोफेसर तरुण कुमार ठाकुर एवं सह-सचिव श्री हरेराम पांडेय और श्री शील मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती शीला त्रिपाठी की उपस्थिति में संपन्न हुआ इस अवसर पर माननीय कुलपति ने अपने उद्बोधन में कहा कि “शतरंज का खेल सफेद और काले मोहरो से खेला जाता है, यह बड़ा दिलचस्प खेल है, जिसमें राजा सिर्फ एक घर चलता है और उसको बचाने के लिए पूरी सेना जी जान लगा देती है। यह खेल मजेदार तो तब होता है, जब एक है प्यादा वजीर बनता है। इसलिए शतरंज का खेल हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है क्योंकि हर व्यक्ति के अंदर वजीर बनने की ख्वाहिश होती है और वह ख्वाहिश तभी पूरी हो सकती है जब वह अपने आप को एक प्यादा समझे और जीवन की कठिन परिस्थितियों से जूझते हुए, हार ना मानते हुए अपने आपको उस स्थान पर पहुंचाए जहां वजीर तो क्या ईश्वर स्वयं उससे मिलने आए”। इस समापन अवसर पर मुख्य अतिथि यशपाल सोलंकी एवं ने विश्वविद्यालय द्वार की गई मेजवानी को मील का पत्थर बताया। इसी तरह डॉ. अरुण कुमार उच्च विद्यालय विश्वविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराई गई सुविधाओं की भूरी-भूरी प्रशंसा की, उन्होंने कहा कि खेल हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं फिर वह खेल शतरंज का ही क्यों ना हो। इसलिए जीवन में यदि आगे बढ़ना है तो खेलना जरूरी है। खेलेगा इंडिया प्रधानमंत्री मोदी जी ध्य्ये वाक्य ‘खेलेगा इंडिया तभी तो खिलेगा इंडिया’ को हमें अपनाना होगा।