
जनजातीय विश्वविद्यालय के आजीविका व्यापार केंद्र में माननीय कुलपति ने किया आटा एवं खाद्य तेल प्रसंस्करण इकाई का लोकार्पण
शुद्ध अन्न ही स्वस्थ जीवन का सार .... प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी (मा. कुलपति)
जनजातीय विश्वविद्यालय के आजीविका व्यापार केंद्र में माननीय कुलपति ने किया आटा एवं खाद्य तेल प्रसंस्करण इकाई का लोकार्पण
शुद्ध अन्न ही स्वस्थ जीवन का सार …. प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी (मा. कुलपति)
पुष्पराजगढ़ (रमेश तिवारी)
अमरकंटक: शुद्ध अन्न का मानव जीवन में विशेष महत्व है। मिलावटी अनाज विविध बीमारियों को जन्म देता है। सदियों पहले हमारे वेद-पुराणों में भी शुद्ध अन्न की महत्वता को विशेष रूप से उल्लेखित किया गया है। अमूमन हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी अवसाद से घिरा हुआ होता है। उदर रोग का प्रमुख कारण ही दूषित या अशुद्ध भोजन आहार है। यह बात इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी ने आजीविका व्यापार प्रषिक्षण केंद्र द्वारा आटा एवं खाद्य तेल प्रसंस्करण इकाई का लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान कही।
माननीय कुलपति महोदय ने बताया कि अन्न को सुलभ परिवहन के लिए पैकिंग प्रणाली तेजी से बढ़ी। इस दौरान पैक सामग्रियों को अधिक समय तक संधारित करने के लिए केमिकल का उपयोग किया जाने लगा। हमारे पूर्वजों ने अन्न की शुद्धता को विशेष महत्व दिया है। अब अशुद्ध सामग्रियों ने मानव स्वास्थ्य पर भी कई विपरीत असर दिखाए हैं। उन्होंने कहा कि आटा, मसाला व खाद्य तेल दैनिक खाद्य आवश्यकताओं की वस्तुएं हैं जिनकी शुद्धताशची सुनिश्चित करने की दिशा में यह अति विशिष्ट पहल साबित होगी।
इस दौरान कार्यक्रम में अति विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहीं श्री शील मंडल की अध्यक्ष श्रीमती शीला त्रिपाठी जी ने क्षेत्रीय जनजातीय महिलाओं एवं किसानों के समग्र विकास हेतु विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि आसपास की महिलाओं को आचार, पापड़ जैसे अन्य कौशल युक्त गृह उद्योगों से जोड़ने की आवश्यकता है। श्रीमती त्रिपाठी जी ने एलबीआई के साथ मिलकर श्री शील मंडल के द्वारा गृह उद्योगों को बढ़ाने की दिशा में उचित सहयोग की बात कही। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रहे भू-विज्ञान विभाग के अधिष्ठाता प्रो. ए. के. शुक्ला एवं अकादमिक अधिष्ठाता प्रो. आलोक श्रोत्रिय ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम की रूपरेखा व्यक्त करते हुए आजीविका व्यापार प्रषिक्षण केंद्र के समन्यवयक प्रो. आषीष माथुर ने लघु उद्योगों से जनजातीय विकास हेतु विष्वविद्यालय के प्रयासों की जानकारी दी। प्रो. माथुर ने माननीय कुलपति जी के द्वारा उद्यमिता विकास हेतु किए जा रहे प्रयासों की विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन एलबीआई के लाइजन अधिकारी अवकाश गर्ग ने किया। इस दौरान विश्वविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य प्रो. एन. एस. एच. एन. मूर्ति, प्रो. अजय वाघ, प्रो. पी. के. सामल, प्रो. जीतेंद्र मोहन मिश्रा, प्रो. मनीषा शर्मा, ओएसडी वी. एन. मिश्रा, डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ. पूजा तिवारी, सहायक रजिस्ट्रार डॉ. संजीव सिंह, डॉ. अखिलेश सिंह, सहायक आचार्य डॉ. वासु चैधरी, सहायक अभियंता कार्तिकेय सिंह सिसोदिया सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी व स्व-सहायता समूह की महिलाएं मौजूद रहीं।
महिलाओं का किया गया सम्मान
आजीविका व्यापार केंद्र द्वारा संचालित सिलाई केंद्र में प्रशिक्षित ग्रामीण महिलाओं को माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी एवं श्री शील मंडल की अध्यक्ष श्रीमती शीला त्रिपाठी जी के द्वारा सम्मानित किया गया। एलबीआई के समन्यवयक प्रो. माथुर ने बताया कि समूह की महिलाओं ने सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त किया और अब वे स्वयं ही सिलाई कार्य के साथ आजीविका सशक्त करने में सक्षम हैं। माननीय कुलपति जी ने इन महिलाओं के उज्जवल भविष्य की कामना के साथ पुरस्कृत किया।