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आचार्य शंकर का जीवन दर्शन सबके लिये अनुकरणीय — रामलाल रौतेल

आदिगुरु शंकराचार्य जयंती अवसर पर विचारगोष्ठी आयोजित

आचार्य शंकर का जीवन दर्शन सबके लिये अनुकरणीय — रामलाल रौतेल

आदिगुरु शंकराचार्य जयंती अवसर पर विचारगोष्ठी आयोजित

अनूपपुर (रमेश तिवारी)


आचार्य शंकर का जीवन दर्शन विश्व कल्याण का मुख्य मार्ग है। उनका जीवन दर्शन हम सबके लिये अनुकरणीय है। आदिगुरु शंकराचार्य प्राकट्य अवसर पर जन अभियान परिषद अनूपपुर द्वारा जिला मुख्यालय स्थित संकल्प महाविद्यालय सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपरोक्त विचार अनूपपुर के पूर्व विधायक एवं कोल विकास राज्य स्तरीय प्राधिकरण के अध्यक्ष रामलाल रौतेल ने व्यक्त किये। भारत विकास परिषद के पूर्व अध्यक्ष एवं भाजपा नेता मनोज कुमार द्विवेदी, समाजसेवी सिद्धार्थ शिव सिंह, जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक उमेश पाण्डेय, मोहन पटेल , महिला मोर्चा उपाध्यक्ष पुष्पा पटेल, शिल्पा जन सेवा समिति के विजय शर्मा , नगर विकास प्रस्फुटन समिति के ललित दुबे, अनिल सिंह परिहार ,परामर्शदाता धनेश दास बेलिया, शिवानी सिंह, श्वेता दुबे, विक्रम महोबिया, पार्वती वर्मा ,सीएमसीएलडीपी छात्र आरती राठौर, मीना पटेल, सावित्री पटेल, खुशबू पनिका, हर्षाली लेखे, दशरथ सिंह

के साथ परामर्शदाता, एमएसडब्ल्यू, बीएसडब्ल्यू के छात्र ,ग्राम विकास, नगर विकास प्रस्फुटन समितियों के प्रतिनिधि ,नवांकुर संस्थाएं ,सामाजिक कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए श्री रौतेल ने अपने सार गर्भित संबोधन के द्वारा उपस्थित लोगों को आदिगुरु शंकराचार्य जी के प्राकट्य पर्व की शुभकामनाएँ प्रदान कीं। भारत विकास परिषद के पूर्व अध्यक्ष मनोज द्विवेदी ने आदि शंकराचार्य के अहं ब्रम्हास्मि को स्पष्ट करते हुए कहा कि महाप्रभु आदि शंकराचार्य जी ने अहं ब्रम्हास्मि के द्वारा बतलाया है कि जीव और ब्रम्ह का एकाकार

यानि प्रत्येक जीव में ईश्वर का वास होता है। उन्होंने कहा कि

जब कभी आप मन्दिर में जाएं और वहाँ भगवान की प्रतिमा के दर्शन करते हुए आंखों में उनकी स्नेहिल छवि को ऐसा बसा लें कि जब हम आंखें बन्द करके बैठ जाएं तब भी वह छवि हमारे हृदय ,मन, आंखों में ऐसी बस जाए कि ईश्वर और हममें कोई अन्तर ना रह जाए । जब दूसरों के कष्ट से हमारी आंखे भर आएं …और उसके कष्ट दूर करने में पूरी तन्मयता दिखाएं तो इसका अर्थ है कि आपकी आत्मा का जागरण हो चुका है….वह परमात्मा का स्वरुप है यानि ब्रम्ह और जीव का एकाकार हो चुका है। यह अवस्था ही अहं ब्रम्हास्मि है । यह संवेदनशीलता, सामाजिक समरसता , ब्रम्ह – जीव एकात्मकता के माध्यम से सनातन जन जागरण का शुभ संकेत है।

कार्यक्रम का शुभारंभ भागवतपाद भगवान आदि गुरु शंकराचार्य जी की प्रतिभा पर माल्यार्पण पूजन एवं एकात्मता मंत्र व एकात्मता संकल्प एवं गीत के साथ शुभारंभ हुआ।

कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत उद्बोधन एवं प्रस्तावना परिषद के जिला समन्वयक उमेश कुमार पांडे द्वारा रखी गी। उन्होंने अपने उद्बोधन में अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की प्रस्तावना में बताया भगवान आदि गुरु शंकराचार्य का प्राकृटय केरल के कालड़ी ग्राम में पूर्णा नदी के तट पर हुआ उनके पिता श्री शिवगुरु रेवम माता शिवभक्त विशिष्टा देवी (आर्याम्बा) हैं,उनकी सन्यास दीक्षा के बाद आदि गुरू द्वारा भारत में परिव्राजक के रूप में भ्रमण करते हुए आम्नाय पीठों की स्थापना की गई जी कि चार महा वाक्यों के साथ-प्रज्ञानम बृह्म जो ऋग्वेद को स्थापित करते हुए गोवर्धन पीठ पूरी(उड़ीशा)में,अहम् ब्रह्मास्मि यजुर्वेद को प्रतिस्थापित करते हुए श्रृंगेरी पीठ रामेश्वरम, तत्त्वमसि जी सामवेद को प्रतिपादित करते हुए शारदा द्वारकामठ द्वारका(गुजरात)तथा अयआत्मा ब्रह्म अथर्व वेद को प्रतिपादित करते हुए ज्योतिरमठ बद्रीनाथ(उत्तराखंड)की पुनर्स्थापना उनके द्वारा की गई । समाजसेवी सिद्धार्थ सिंह ने कहा कि शंकराचार्य जी वर्तमान भारत की अखंडता व सांस्कृतिक एकता के देवदूत हैं। भगवान शंकर ने 32 वर्ष की अल्प आयु में आदि शंकर ने भारत की पैदल तीन बार परिक्रमा की है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ममनीय रामलाल रौतेल जी ने अपने उद्बोधन में भगवान आदि गुरु शंकर के प्राकट्य पंचमी पर अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद निरंतर सामाजिक सरोकार के मुद्दों तथा सांस्कृतिक रूप से भारत की सनातन संस्कृति को सुदृढ़ करने वाले ऐसे महान कार्यक्रमों का आयोजन करता है। कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा उद्बोधन में बताया कि भगवान आदिगुरु शंकराचार्य कालड़ी केरल से चलकर अमरकंटक और मां नर्मदा की परिक्रमा करते हुए ओंकारेश्वर ओम पर्वत पर विराजमान अपने गुरु गोविंदपादचार्य जी के द्वारा शिक्षा और ज्ञान प्राप्त कर सभी शास्त्रों में निष्णात होने के पश्चात भारत भ्रमण करते हुए महिष्मति महेश्वर में मण्डन मिश्र जी से शास्त्रार्थ करते हैं वहीं से ही प्रथम शंकराचार्य सुरेश्वराचार्य जी, प्रज्ञानंम अहं ब्रह्मास्मि,तत्वमसि तथा अयआत्मा ब्रह्म का संदेश देते हुए गोवर्धनमठ,श्रृंगेरी मठ,शारदामठ एवं ज्योतिर्मठ की पुनर्स्थापना कर भारत की सांस्कृतिक एकता अखंडता तथा संपूर्ण जगती की प्रगति उत्थान एवं शांति के लिए कार्य किया है जिसके लिए उनके द्वारा किए गए योगदान के लिए कृतज्ञ राष्ट्र व संपूर्ण जगती उनके श्रीचरणों में नतमस्तक है तथा उनका वंदन अभिनंदन करती है।

व्याख्यान कार्यक्रम का संचालन मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम अनूपपुर के परामर्शदाता श्री धनेश दास बेलिया तथा आभार जिला समन्वयक द्वारा किया गया।कार्यक्रम का समन्वय श्री मोहनलाल पटेल द्वारा किया गया।

Saurabh Gupta

Saurabh Gupta is the Content Writer and Founder of karekaise.in, A blogging website that helps reader by providing News, Article on Educational topics in both language Hindi And English. He is from Anuppur district, Madhya Pradesh, India.

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