
सूर्य उपासना छठ पूजा का महापर्व आस्था के साथ मनाया गया
4 दिनों के छठ पर्व में 36 घंटे का कठिन व्रत रखकर की जाती है पूजा
उगते सूर्य को अर्ध्य के साथ महापर्व का समापन
पुष्पराजगढ़ (रमेश तिवारी)
सूर्य देव की उपासना का महापर्व छठ पूजा 17 नवंबर से 20 नवंबर तक मनाया गया । तीसरे दिन 19 नवंबर दिन रविवार को ढलते सूर्य देव को अर्घ्य देकर पूजा अर्चना की गई । चौथे दिन 20 नवंबर को उगते सूर्य देव को अर्घ्य देकर पूजा अर्चना के साथ पर्व का समापन किया गया। राजेंद्रग्राम में दुर्गा मंदिर के पास जोहिला नदी के तट पर छठ पर्व की शुरुआत उपासको द्वारा ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा के साथ की गई।
उपासको के द्वारा जोहिला नदी के तट पर साफ सफाई कर टेंट एवं लाइट लगाकर घाट को सुंदर तरीके से सजाया गया था जहां पर महिलाओं एवं पुरुषों द्वारा सामूहिक रूप से छठ पूजा का उत्सव मनाया गया। जोहिला नदी के तट पर उत्तर भारत के लोग बड़ी संख्या में पूजा अर्चना के लिए एकत्रित हुए घाट में पूजा देखने के लिए अन्य लोग भी काफी संख्या में एकत्रित हुए।
उपासक हर छोटी से छोटी चीज जुटाकर छठ पूजा के लिए लाए थे जिसमें प्रमुख रूप से गन्ना, कांदा, सेव, केला सिंघाड़ा सीताफल मिठाई एवं फूल माला एवं अन्य सामान भी लाए थे। बांस के बने नए टोकरी मे पूजा की सामग्री फल फूल प्रसाद एवं अन्य सामग्री को सजा कर रखा गया था। पूजा की सामग्री को लेकर महिलाए एवं पुरुष घाट पर जाकर छठ मैया की पूजा विधि विधान के साथ किए । छठ पूजा का पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है यह पर्व 4 दिनों तक लगातार चलता है उत्तर भारत में विशेष तौर पर बिहार एवं उत्तर प्रदेश में यह पर्व श्रद्धा के साथ मनाया जाता है । 17 नवंबर से से नहाए खाए के साथ व्रती महिलाओं ने अपना व्रत प्रारंभ किया इसी दिन व्रती लोग स्नान कर नए कपड़े पहनते हैं और शुद्ध भोजन करते हैं सबसे पहले व्रत रखने वाले भोजन करते हैं उसके बाद घर के अन्य सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं छठ पूजा का दूसरा दिन जिसे खरना कहते हैं इस दिन पूरे दिन व्रत रखा जाता है तथा शाम को चावल और गुड़ से बनी खीर बनाई जाती है। जिसे खाकर 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है। छठ पूजा के तीसरे दिन ढलते सूर्य को अर्ध्य देकर पूजा अर्चना की गई तथा चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा अर्चना के साथ छठ महापर्व का समापन किया गया।