
सूर्य उपासना छठ पूजा का महापर्व श्रद्धा व आस्था के साथ उत्सव के रूप में मनाया गया
अस्ताचल सूर्य को अर्ध्य देकर की गई पूजा अर्चना
राजेंद्रग्राम( रमेश तिवारी )
राजेंद्रग्राम:- सूर्य देव की उपासना का महापर्व छठ 17 नवम्बर से 20 नवम्बर तक मनाया जा रहा है । तीसरे दिन 19 नवम्बर दिन रविवार को ढलते सूर्य देव को अर्घ्य देकर पूजा अर्चना की गई । चौथे दिन 20 नवम्बर को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा अर्चना के साथ छठ महापर्व का समापन किया जाएगा। राजेंद्रग्राम में दुर्गा मंदिर के पास जोहिला नदी के तट पर 19 नवम्बर को उपासको महिलाओ पुरूषो द्वारा अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा विधि विधान से की गई।
उपासको के द्वारा जोहिला नदी के तट पर साफ सफाई कर टेंट एवं लाइट लगाकर घाट को सुन्दर तरीके से सजाया गया था जहां पर महिलाओं एवं पुरुषों द्वारा सामूहिक रूप से छठ पूजा का उत्सव पूजा अर्चना कर विधि विधान के शाथ मनाया गया। जोहिला नदी के तट पर उत्तर भारत के लोग बड़ी संख्या में पूजा अर्चना के लिए एकत्रित हुए घाट में पूजा देखने के लिए अन्य लोग भी एकत्रित हुए। उपासक हर छोटी से छोटी चीज जुटाकर छठ पूजा के लिए लाए थे।
जिसमें गन्ना, कांदा, सेव, केला नारियल मिठाई एवं फूल माला पूजा सामग्री एवं प्रसाद अन्य समान को बांस के बने नए टोकरी मे सजा कर रखा गया था। पूजा की सामग्री को लेकर महिलाए एवं पुरुष नदी के घाट पर छठ मैया की पूजा अर्चना विधि विधान के साथ किए । छठ पूजा का पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है यह पर्व 4 दिनों तक लगातार चलता है उत्तर भारत में विशेष तौर पर बिहार एवं उत्तर प्रदेश में यह पर्व उत्साह एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है ।
17 नवंबर से नहाए खाए के साथ व्रती महिलाओं ने अपना व्रत प्रारंभ किया इसी दिन व्रती लोग स्नान कर नए कपड़े पहनते हैं और शुद्ध भोजन करते हैं सबसे पहले व्रत रखने वाले भोजन करते हैं उसके बाद घर के अन्य सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं छठ पूजा का दूसरा दिन जिसे खरना कहते हैं इस दिन पूरे दिन व्रत रखा जाता है तथा शाम को चावल और गुड़ से बनी खीर बनाई जाती है। जिसे खाकर 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है छठ पूजा के तीसरे दिन अस्ताचल सूर्य को अर्ध्य देकर पूजा अर्चना की गई तथा चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा अर्चना के साथ छठ महापर्व का समापन किया गया।