NEWS

धर्मवीर डॉ बालकृष्ण शिवराम मुंजे – एक प्रज्ञावान देशभक्त: 150 वी जन्म जयंती पर विशेष

धर्मवीर डॉ बालकृष्ण शिवराम मुंजे – एक प्रज्ञावान देशभक्त: 150 वी जन्म जयंती पर विशेष

अनूपपुर (रमेश तिवारी)


डॉ बालकृष्ण शिवराम मुंजे ( 12 दिसंबर 1872 से 3 मार्च 1948 ) एक बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी थे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक बालासाहब देवरस के अनुसार वे दृष्टा महापुरुष थे । दृष्टा को उसके जीवन काल में समाज द्वारा मान्यता नहीं मिल पाती । यद्यपि यह वास्तविकता है कि धर्मवीर डॉ मुंजे पुरे देश में बहुत लोकप्रिय नेता थे

डॉ मुंजे ने पहले सशस्त्र क्रांतिकारी के रूप में और बाद में राजनैतिक नेता के रूप में भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रयास किया। कहा जाता है कि डॉ मुंजे ने तब देश के कई युवाओं को, जिनमे डॉ हेडगेवार भी थे, बम बनाने का प्रशिक्षण दिया था।

वे अत्यंत मेधावी थे। मुंबई के प्रसिद्ध ग्रांट मेडिकल कॉलेज से 1898 में L M & S (Licentiate in Medicine and Surgery आज की MBBS डिग्री ) उपाधि प्राप्त की । मुंबई महानगरपालिका में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के रूप में उन्हें नौकरी मिली। वे भारत के पहले नेत्र विशेषज्ञ थे। मोतियाबिंदु की शल्य चिकित्सा के लिए उन्होंने अपनी पद्धति विकसित की थी। सामने उज्ज्वल भविष्य था लेकिन सेना में रूचि के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ दी। सेना में कमिशंड अधिकारी के रूप में नौकरी प्रारम्भ की। वे सेना की मेडिकल विंग के अधिकारी के रूप में बोर युद्ध (1899-1900) के लिए अफ्रीका भेजे गए । चिकित्सा दल में शामिल वे प्रथम तथा एकमेव भारतीय अधिकारी थे। अफ्रीका में उनकी गांधीजी से भेट हुई । भारत वापस आने पर 1904 में डॉ मुंजे सेना को छोड़ राजनीति में आ गए । उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में प्रवेश लिया। वे लोकमान्य तिलक के अनुयायी थे। 1920 में लोकमान्य तिलक के निधन के पश्चात महर्षि योगी अरविन्द से उन्होंने पुडुचेरी में जाकर भेट की तथा उनसे अनुरोध किया की वे अपना संन्यास छोड़ कर कांग्रेस का नेतृत्व करे। महर्षि अरविन्द इसके लिए सहमत नहीं हुए। गाँधी जी से डॉ मुंजे के वैचारिक मतभेद थे। अतः उन्होंने कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया।

1921 में मोपलाओं द्वारा केरल में किये गए भीषण अत्याचारों का डॉ मुंजे ने स्वामी श्रद्धानन्द के साथ केरल में जाकर विरोध किया था। सामाजिक समरसता तथा जातिप्रथा उन्मूलन के लिए उन्होंने जन जागरण किया। छल पूर्वक धर्म परिवर्तन किये गए अपने बंधुओ को वापस हिन्दू धर्म में लाने के लिए देवल संहिता का अध्ययन करके उन्होंने शुद्धिकरण की एक प्रक्रिया बनाई और हजारो बंधुओ को वापस हिन्दू धर्म में लाया। गाँधी जी के साथ ही तत्कालीन धर्मपीठाचार्यो ने यद्यपि इसका विरोध किया लेकिन करवीर पीठ के शंकराचार्य डॉ कुर्तकोटि ने उनकी शुद्धिकरण की विधि को मान्यता दी और डॉ मुंजे को “धर्मवीर ” की उपाधि दी।

 

1923 में उन्होंने हिन्दू महासभा में प्रवेश लिया। 1927 में पटना में आयोजित हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अधिनेशन हेतु अखिल भारतीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रदेश समितियों द्वारा नाम बुलाये गए । विभिन्न प्रदेश समितियों द्वारा सर्वश्री डॉ मुंजे, लाला लाजपतराय, महामना पंडित मदन मोहन मालवीय, बैरिस्टर जयकर और भरतपुर के महाराजा के नाम प्रस्तावित किए गए। दिनांक 8 मार्च 1927 को आयोजित बैठक में डॉ मुंजे को बहुमत द्वारा अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। 15 अप्रैल 1927 को हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पटना में उनकी भव्य शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा एक मील लम्बी थी। उसमे 20 हाथी थे तथा 500 स्वयंसेवक व्यवस्था देख रहे थे। इस पद पर उन्होंने लगातार 10 वर्ष तक कार्य किया। 1937 में स्वातंत्र्यवीर सावरकर हिन्दू महासभा के अध्यक्ष बने इस लिए उन्होंने इस पद से त्यागपत्र दिया। उन्होंने आजीवन सावरकर जी का साथ दिया। स्वयं सावरकर जी ने कहा है की डॉ मुंजे ने 10 वर्षो तक हिंदूमहासभा का ही नहीं अपितु हिन्दू राष्ट्र का नेतृत्व किया।

1927 में उन्होंने मांग की कि सेना में भारतीयों को अधिकारी के रूप में प्रवेश दिया जाये। उन्होंने विश्व के विषेशतः यूरोप के कई देशो की यात्रा करके वहा के सैनिक विद्यालयों का अध्ययन किया। अपने शत्रु का शत्रु अपना तात्कालिक मित्र इस सिद्धांत के अनुसार बेनिटो मुसोलिनी से 1931 में उन्होंने भेट की थी इसी सिद्धांत के अनुसार नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बाद में एडॉल्फ हिटलर से भेट हुई थी

1930 तथा 1932 में लंदन में आयोजित दोनों गोलमेज परिषदों में डॉ मुंजे ने भाग लिया था। डॉ मुंजे स्त्री सशक्तिकरण के पुरोधा थे । सभी नागरिकों को अनिवार्य सैनिक शिक्षा के वे बड़े हिमायती थे। उन्होंने देश की मजबूती के लिये सेना तथा सैनिक शिक्षा का महव समझा। आगे इस सम्बन्ध में उन्होंने कई महत्वपूर्ण काम किये । 1927 में एयरो क्लब ऑफ़इंडिया के संस्थापक सदस्य । 1929 रायफलक्लबके संस्थापक सदस्य । 1933 में इंडियनमिलिटरी अकेडमी देहरादूनके संस्थापक सदस्य ।1937 में भोसले मिलिटरी स्कूल नासिक की स्थापना । 1937 में युवतियों को रायफल चलाने का प्रशिक्षण । जिनके परिणाम स्वरुप भारत जब स्वतंत्र हुआ तब हमारे पास एक सुदृढ़ सेना और योग्य सेनापति थे। डॉ मुंजे की हिन्दू युवाओं को ब्रिटिश सेना में भर्ती हेतु प्रेरित किये जाने का ही परिणाम था कि सुभाष बाबू को आजाद हिन्द सेना के लिए बड़ी मात्रा में प्रशिक्षित सैनिक मिले। इसी तरह उनकी रणनीति के अनुसार जैसे ही अवसर प्राप्त हुआ 1946 में सैनिको ने विद्रोह कर दिया। *उन्होंने मांग की कि भारत में सभी युवाओ के लिए सैनिक शिक्षा अनिवार्य की जाये।* वर्तमान में इजरायल एकमात्र ऐसा देश है जो डॉ मुंजे की नीतियों पर चल रहा है। परिणाम स्वरूप आज वह एक शक्तिशाली राष्ट्र है। अभी भारत शासन ने अग्निवीर योजना लाकर इस दिशा में एक कदम उठाया है।

डॉ भीमराव अंबेडकर ने जब धर्म परिवर्तन का निर्णय लिया तो डॉ मुंजे ने उन्हें प्रेरित किया की यदि वे धर्म परिवर्तन करना ही चाहते है तो भारतीय मूल का ही कोई धर्म स्वीकार करे ।

मुंजे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के वे अभिभावक, मार्गदर्शक तथा प्रेरणाश्रोत थे। 1942 में अपने अध्ययन के पश्चात अटल बिहारी बाजपेयी संघ प्रचारक बनना चाहते थे। ग्वालियर राज्य शासन से लिए गए छात्रवृत्ति की शर्तो के अनुसार उन्हें दो वर्ष शासन की नौकरी करना अनिवार्य था । भाऊराव देवरस के कहने पर डॉ मुंजे ने महाराजा जीवाजीराव से कहकर अटलजी को नौकरी के बंधन से मुक्त कराया था।

धर्म और कर्तव्यनिष्ठता उनके जीवन का स्थाई भाव था । वह निडरता पूर्वक अपनी बात रखते थे। ऐसे धर्मवीर, सच्चे राष्ट्रभक्त ,वीर नायक डा मुंजे को कोटि कोटि नमन् ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Slot Gacor Slot Gacor Slot Deposit Pulsa Slot Online Situs Slot Slot Gacor Slot Tergacor Slot Terpercaya Slot Deposit Pulsa Slot Hoki Situs Slot Slot Deposit Pulsa Slot Online Slot Gacor Slot Terpercaya RTP LIVE Slot Tergacor Slot gacor Slot Pulsa Situs Slot Slot Terpercaya Slot Deposit Pulsa Slot Tergacor Slot Online RTP LIVE Slot Hoki Slot Terbaru Situs Slot RTP LIVE Slot Resmi slot deposit pulsa Slot Deposit pulsa tanpa potongan Slot Resmi Gacor88 slot gacor slot gacor RTP LIVE gacor88 slot gacor gacor77 situs slot rtp slot Slot deposit pulsa Slot Terpercaya Slot Hoki Slot Terbaru Slot Terbaru Slot Resmi Slot Gacor Gacor88 Slot Hoki Slot Resmi Rtp Slot Slot Hoki Slot Terpercaya Slot Terbaru Slot Deposit Pulsa Slot gacor situs slot Slot Deposit pulsa Slot gacor Slot Hoki Slot Deposit pulsa situs slot slot gacor rtp slot slot gacor slot terbaru slot hoki Slot Deposit Pulsa Situs Slot slot gacor Slot hoki Slot terbaru