
चप्पल कांड को लेकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने सौपा ज्ञापन
आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग
पुष्पराजगढ़ (रमेश तिवारी)
चप्पल कांड को लेकर 21 सितंबर को पुष्पराजगढ़ क्षेत्र के मुख्यालय राजेंद्र ग्राम में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के द्वारा जिला अध्यक्ष प्रीतम सिंह व पूर्व जिला अध्यक्ष ललन सिंह परस्ते के नेतृत्व में अनुविभागीय विभाग अधिकारी पुलिस पुष्पराजगढ़ श्रीमती सोनाली गुप्ता को घायल वरनू सिंह गोड़ को चप्पल मारने वालों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए जेल भेजने व उनके मकान पर बुलडोजर चलाएं जाने का ज्ञापन पत्र सोपा गया है।
ज्ञात होगी 18 सितंबर की देर शाम सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें सड़क दुर्घटना के बाद एक वृद्ध की ग्रामीण नौजवान चप्पल से पिटाई कर रहा था वीडियो वायरल होने के पश्चात मारपीट करने वाले युवक की पहचान उजागर हुई जिस युवक के हाथ में चप्पल थी वह भाजपा ग्रामीण मंडल का अध्यक्ष जय गणेश दीक्षित था चंद घंटे बाद इस मामले से ही जुड़ा दूसरा वीडियो सामने आया जिसमें बुजुर्ग की पिटाई कर रहे दूसरे युवक की पहचान जितेंद्र कुशवाहा के रूप में हुई जो कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग मोर्चा का पदाधिकारी था 20 सितंबर को ही पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया हालांकि उन्हें मुंह चलकर पर छोड़ने छोड़ने जाने की बात कही जा रही है वहीं भाजपा कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लग रहे हैं। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा 21 सितंबर 2023 को सौंप गए ज्ञापन पत्र में उल्लेख किया गया है कि वरनू सिंह पुष्पराजगढ़ क्षेत्र के ग्राम पिचरवाही का निवासी है जो 18 सितंबर 2023 को अनूपपुर अमरकंटक रोड पर बेलगाम चला रहे पिकअप ड्राइवर ने मोटरसाइकिल को टक्कर मारी मार दी जिसमें बाइक सवार आदिवासी बुजुर्ग भोम सिंह उम्र 60 वर्ष की घटना स्थल में ही मौत हो गई जबकि वरनू सिंह घायल हो गया।
ग्रामीणो के साथ भाजपा नेता जय गणेश दीक्षित भाजपा ग्रामीण मंडल अध्यक्ष व जितेंद्र कुशवाहा कांग्रेस पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ पदाधिकारी के द्वारा घटनास्थल पर पहुंचकर घायल वरनू सिंह गोड़ को अस्पताल ले जाने के बजाय सार्वजनिक जगह घटना स्थल पर चप्पल से पीटने लगे साथ ही ग्रामीणों के साथ साथ भी बदसलूकी की गई जिससे पूरे आदिवासी समुदाय इनके अमानवीय कृत से आक्रोशित है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा मांग की गई है कि अपराधियों को त्वरित गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए। तथा उनके मकान पर बुलडोजर चलाया जाए। यदि पांच दिवस के अंदर कार्रवाई नहीं की गई तो आदिवासी समुदाय उग्र आंदोलन करने पर बाध्य होगा जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।