
जलवायु परिवर्तन एवं आपदा जोखिम की न्यू नेता को जीवन का आधार विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
जलवायु परिवर्तन एवं आपदा जोखिम की न्यू नेता को जीवन का आधार विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
अनूपपुर- पुष्पराजगढ़ (रमेश तिवारी)
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक द्वारा वाई 20 के अंतर्गत “जलवायु परिवर्तन और आपदा जोखिम की न्यूनता को जीवन का आधार बनाना” विषय पर खेल एवं युवा मामले मंत्रालय के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन केन्द्रीय राज्यमंत्री पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन अश्विनी चौबे जी एवं विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर प्रकाश मणि त्रिपाठी के कर कमलों द्वारा किया गया। इस अवसर पर माननीय मंत्री श्री अश्विनी चौबे जी ने पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में जलवायु में हो रहे बदलाव पर तत्काल प्रभाव से कार्यवाही सिर्फ और सिर्फ भारत सरकार द्वारा की जा रही है। आपने बताया कि 65% जनसंख्या जी-20 शिखर सम्मेलन के अंतर्गत आती है यह दुनिया के विकास और समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होने देश के युवाओं के लिए अपनी चिंता दिखाई और बताया कि कैसे युवा इस आयोजन से खुद को लाभान्वित कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि प्रकृति के तत्वों की रक्षा और संरक्षण करना हमारा कर्तव्य है। दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत है। हमारे विचार हम को आगे ले जा रहे हैं और हम दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनने की राह पर हैं। ना सिर्फ हम बदल रहे हैं बल्कि पूरी दुनिया भारत के बताए हुए विचारों पर आगे बढ़ रही है। भारत एक ऐसा देश है जहां भारत को माता कहा जाता है। दुनिया में ऐसी कोई अर्थव्यवस्था नहीं है जिसे माँ कह कर पुकारा जाता हो।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी द्वारा सतत विकास क्यों महत्वपूर्ण है इस विषय पर व्याख्यान दिया गया। उन्होंने कहा कि जो आज हो रहा है वह जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित मौसम के कारण हो रहा है जिसका मूल है वनों की कटाई। जीवन शैली की गिरावट भी इसका परिणाम है। भारत पृथ्वी की प्राकृतिक व्यवस्था को बहाल करने में महत्वपूर्ण है और उसमें महत्वपूर्ण कड़ी बना है। यह विश्वविद्यालय मां नर्मदा के अंचल में स्थित है। यह एक ऐसा स्थान है जहां प्रकृति संस्कृति से मिलती है, आज हमारे देश में युवाओं की ताकत है। यह एक ऐसी ताकत है जो किसी भी जटिल आपदा को अवसर में बदल सकती है। इसके लिए इच्छा शक्ति और लक्ष्य की आवश्यकता है जिसका रास्ता विश्वविद्यालय द्वारा दी जा रही शिक्षा से निकल रहा है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह आयोजन सनातन जीवन जीने के तरीकों को दुनिया के सामने रखेगा।
आज के कार्यक्रम में युवा एवं खेल मंत्रालय में सचिव श्रीमती मीता राजीव लोचन ने बताया कि भारत सतत विकास करने में अग्रणी है। भारत सर्वश्रेष्ठ क्यों है? यदि यह जानना है तो भारत के धर्म ग्रंथों को पढ़ना होगा आज अमरकंटक में यह विमर्श पूरी दुनिया के लिए आदर्श बन गया है क्योंकि यहां का वातावरण यह बतलाता है कि प्रकृति किस तरह की थी और कैसे परिवर्तित हो रही है। प्रकृति और विश्वास का संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि प्रकृति स्वस्थ है तो मानव स्वस्थ रहेगा जिसका जीता जागता उदाहरण आपने देखा कोविड-19 के दौरान। यह प्रकृति और जीवन एक दूसरे के लिए बने हुए हैं। यदि हमने प्रकृति को संरक्षित नहीं किया तो हमारा जीवन संभव नहीं होगा। इसका दूसरा पहलू है नदियों को सुरक्षित रखना व साफ रखना। यदि नदियां सुरक्षित रहेंगी तो हमारा जीवन भी सुरक्षित रहेगा। भारत एक युवा संचालित देश के रूप में आगे बढ़ रहा है जहां के एक तिहाई मुख्यमंत्री भी युवा है।
कार्यक्रम में याज्ञवल्क्य शुक्ला ने अमरकंटक के भौगोलिक कारकों के इर्द-गिर्द अपना व्याख्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि यह विश्व सम्मेलन अमरकंटक में आयोजित हो रहा है। यह सर्वोत्तम स्थल है। आप जानते हैं कि प्रकृति ही लोगों को बचा सकती है। इसके लिए हमें स्वयं आगे आना होगा। महानगरों के थिंकटैंक हो या गांव के लोग हर कोई जलवायु परिवर्तन पर अपने विचार साझा कर रहा है। लेकिन आज जरूरत है विचारों के साथ-साथ हमें उस पर कार्यवाही करने की। हमें वेदों की विरासत का आशीर्वाद मिला हुआ है जो जीने के तरीका बताती है। यह स्थान जनजातीय संस्कृति से परिपूर्ण है, जहां की जलवायु संरक्षण में उनका महत्वपूर्ण स्थान है। हमें प्रकृति की गोद में जाना चाहिए।
सम्मानित वक्ता दृष्टि रावत ने आज के पूरे कार्यक्रम को प्रकृति समर्पित कहा। उन्होंने बताया कि जलवायु को संरक्षित रखना हमारे लिए अति महत्वपूर्ण है जिसमें युवाओं का योगदान सर्वश्रेष्ठ है। आने वाली पीढ़ियों में युवा इसके लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हमारा देश युवा राष्ट्र है । भारत की युवा शक्ति ना केवल अपनी उम्र बल्कि राष्ट्र के बारे में अपने विचारों को दर्शाती है। उन्होंने युवाओं को अलग-अलग अवसर पैदा करने के लिए जिम्मेदार ठहराया। साथ में कहा कि नवाचार और सतत विकास का रास्ता युवाओं से होकर गुजरता है और अमरकंटक की जैव विविधता सराहनीय है । युवाओं को इस पर मंथन करना चाहिए, शोध करना चाहिए कि यहां की जलवायु किस तरह से पूरी दुनिया के लिए कारगर हो सकती है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलाधिपति माननीय डॉक्टर ईश्वर मुकुल शाह जी ने कहा कि जैव विविधता और संरक्षण इस धरा की मूल आत्मा है। उन्होंने बताया कि जीवन जीने का पुराना तरीका अत्यंत महत्वपूर्ण था, उस सनातन जीवनशैली को अपनाने के लिए युवाओं को आगे आना होगा और ना सिर्फ आगे आना होगा बल्कि उस जीवनशैली को दूर-दराज तक लोगों के मन मस्तिष्क में बैठाना होगा। पिछली पीढ़ियों द्वारा जो गलतियां की गई हैं उन्हें सुधारना होगा और जो प्रकृति से हमें विरासत में मिला हुआ है उसे आगे ले जाना होगा। सनातन जीवन शैली पर जो हमारा धर्म ग्रंथ कहता है उसे पूरी दुनिया को बताना होगा तभी हम पर्यावरण संरक्षण कर सकते हैं और दुनिया को बचा सकते हैं।
कार्यक्रम का आयोजन लक्ष्मण हवानूर सभागार में हुआ। संयोजक प्रो भूमिनाथ त्रिपाठी ने स्वागत किया, संचालन डा. राहिल और धन्यवाद ज्ञापन कार्यवाहक कुलसचिव प्रोफेसर मूर्ति द्वारा दिया गया। कार्यक्रम में विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतिभागियों ने तकनीकी सत्रों में अपने विचार साझा किए । इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में सात देशों से 20 विद्वान और शोधकर्ता, देश भर से 300 से ज्यादा प्रतिनिधि, 20 सरपंच, स्वयं सहायता समूह के सदस्य, राष्ट्रीय सेवा योजना की विभिन्न इकाईयों के स्वयंसेवक एवं कार्यक्रम अधिकारी, एनसीसी कैडेट, विद्यार्थी आदि भाग ले रहे हैं।
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डॉ. विजय कुमार दीक्षित
जनसंपर्क अधिकारी (का.)