
अगर आप अभी नई जमीन लेने वाले है तो जान लीजिए ये बातें आखिर कितना पैसा लगेगा रजिस्ट्री में
अगर आप अभी नई जमीन लेने वाले है तो जान लीजिए ये बातें आखिर कितना पैसा लगेगा रजिस्ट्री में
Land Registration Charges: हर कोई अपना खुद का घर चाहता है. आज भी, नई पीढ़ी अपनी मेहनत और पैसे से अपना घर बनाना चाहती है. इसलिए, लोग नए घरों या जमीन खरीदने में लगे हुए हैं।.
ऐसे में, जो लोग नई जमीन खरीद रहे हैं, उनके मन में अक्सर ये सवाल उठते हैं: जमीन के रजिस्ट्री की लागत क्या है? क्या कोई हमें बेवकूफ समझकर अधिक भुगतान नहीं कर रहा है, कितना भुगतान करना चाहिए, इस लेख में हम इन सभी प्रश्नों का समाधान मिलेगा।
गौरतलब है कि, किसी भी जमीन या मकान का रजिस्ट्रेशन एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके तहत एक व्यक्ति की जमीन को किसी दूसरे व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर किया जाता है; यह ट्रांसफर एक आधिकारिक दस्तावेज़, जिसे रजिस्ट्री कहा जाता है, के माध्यम से होता है. किसी भी जमीन या मकान खरीदने में रजिस्ट्री सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।
रजिस्ट्री कराने के लिए सरकार से विभिन्न प्रकार के दस्तावेज़ मांगे जाते हैं, जिन्हें दोनों पक्षों (जमीन मालिक और ज़मीन खरीदने वाले) को पेश करना होता है. रजिस्ट्री के चार्ज भी सरकार द्वारा निर्धारित किए जाते हैं, जो जमीन या मकान की जगह और संपत्ति के प्रकार के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं।
भारत में जमीन की रजिस्ट्री का मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है, इसलिए जमीन की लोकेशन और दरें अलग-अलग हो सकती हैं, जैसे गांव में जमीन खरीदने पर कम स्टांप ड्यूटी देनी होती है जबकि शहर में जमीन खरीदने पर अधिक स्टांप ड्यूटी देनी होती है. इसका पूरा विवरण सरकारी पोर्टल पर उपलब्ध है, इसलिए बहुत से लोगों को इसकी पूरी जान.
स्टांप ड्यूटी चार्ज, रजिस्ट्री प्रक्रिया का सबसे बड़ा खर्च है; इसका अर्थ है कि जब आप अपनी जमीन को रजिस्ट्री करवाते हैं, सरकार आपसे स्टांप ड्यूटी के रूप में शुल्क वसूलती है, जो जमीन की सरकारी दर या सर्किल रेट के आधार पर निर्धारित किया जाता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्टांप ड्यूटी का भुगतान कैसे किया जाता है।.
स्थानीय राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित स्टांप शुल्क दरों का प्रभाव देश भर में अलग-अलग होगा. यह बदलाव संपत्ति के मूल्य के आधार पर होगा, जो 3 प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक होगा।.
रजिस्ट्री करवाने के लिए एक पंजीकरण शुल्क भी देना होगा, जो केंद्रीय सरकार द्वारा निर्धारित होता है और राज्यों में बांटा जाता है. इसलिए, संपत्ति खरीदने से पहले इन स्थानीय नियमों और शुल्क दरों को देखना महत्वपूर्ण है।.