
एकादशी श्रीमद् भगवद्गीता राष्ट्रीय व्याख्यान संगोष्ठी का आयोजन
एकादशी श्रीमद् भगवद्गीता राष्ट्रीय व्याख्यान संगोष्ठी का आयोजन
अनूपपुर- पुष्पराजगढ़ (रमेश तिवारी)
संस्कृत विभाग इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक मध्य प्रदेश, पी एन जी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामनगर नैनीताल उत्तराखंड , चतुर्वेद संस्कृत प्रचार
संस्थान काशी उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में 15 मई को ऑनलाइन पाक्षिक 10वीं व्याख्यान गोष्ठी आयोजन प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी विद्वतवरेण्य कुलपति, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक म.प्र.के संरक्षकत्व में किया गया ।
कार्यक्रम का संचालन संगोष्ठी के संयुक्त संयोजक
डॉ. सचिन देव द्विवेदी सहायक आचार्य, संस्कृत विभाग, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक मध्य प्रदेश, ने किया।
भारतीय परंपरा के अनुसार विघ्न की समाप्ति के लिए मंगलाचरण स्वामी करपात्री वेद विद्यालय शुक्ल यजुर्वेद के आचार्य रत्नाकर मिश्र ने किया। डा.अंबरीश मिश्र ने गीता के श्लोकों का पाठ किया। स्वागत वक्तव्य संगोष्ठी के समन्वयक प्रो.एम.सी पाण्डेय जी ने किया।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्य प्रदेश के योग विज्ञान विभाग के अधिष्ठाता प्रोफेसर जितेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि मनुष्य जीवन में कष्टों का अनुभव होने पर शास्त्रों का अध्ययन करना चाहिए। प्रकृति के प्रत्येक कण में परमात्मा का वास होता है। प्रोफेसर शर्मा ने गीता के समत्व योग पर विस्तार से प्रकाश डाला। विशिष्ट वक्ता के रूप में प्रोफेसर विनोद कुमार गुप्ता, आचार्य एवं उप निदेशक, मानविकी विद्याशाखा, उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश ने दैवी सम्पदा एवं आसुरी सम्पदा पर विस्तार से प्रकाश डाला।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर आलोक श्रोत्रिय, विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष, मानविकी एवं भाषा संकाय, अधिष्ठाता अकादमिक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्य प्रदेश ने व्याख्यान का सार प्रस्तुत किया। प्रोफेसर श्रोत्रिय ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि आज अधुनातन युग मे भी व्यक्ति और समाज के लिए श्रीमद्भगवत गीता की प्रासंगिकता निरन्तर बनी हुई है । इस अवसर पर डॉ. अरविंद तिवारी, डॉ. राम प्रताप मिश्रा, डॉ. आभा द्विवेदी, डॉ. उमाकांत शुक्ला, डॉ. शिवा कांत त्रिपाठी, डॉ शिव कुमार मिश्र, डॉ. हरे राम पाण्डेय, डॉ. गोविन्द प्रसाद मिश्र, डॉ. प्रवीण गुप्ता, डॉ. श्याम सुंदर पाल, डॉ. संदीप ठाकरे डॉ. रितेश चतुर्वेदी, डॉ. प्रांगेश कुमार मिश्रा, डॉ. त्रयंबक नाथ पांडे, डॉ. अंबरीश मिश्रा, डॉ. शंभु त्रिपाठी, डॉ. सविता ओझा, डॉ गीता जोशी, डॉ रजनीश शुक्ला, डॉ संध्या ठाकुर, प्रो भागवत शरण शुक्ला जी, प्रो नवलता , अवनींद्र कुमार पांडे, डॉ नेहा मिश्रा ,गायत्री तिवारी, मो बेलाल, रामेश्वरी, अमित, निशांत, अंचल गुप्ता, अनिकेत, महक, रोशन और कई अन्य जिज्ञासु गीता प्रेमी कार्यक्रम से जुड़े रहे । कार्यक्रम के
अंत में डॉ. मूलचंद्र शुक्ला, कार्यक्रम के सह-समन्वयक, सहायक आचार्य, संस्कृत विभाग, पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रामनगर, नैनीताल, उत्तराखंड ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
बधाई संदेश डॉ चंद्रकांत दत्त शुक्ला द्वारा दिया गया।